आज दशकों बाद लौटे हैं धरा पर फिर पुरुष

घोर तम के बाद देखो फिर वो प्यारा सूर्य आया
सब  दिशाओं में नई आशाओं का वह भोर लाया
खिलखिलाती धूप से चिढ़ने लगे हैं कापुरुष
आज दशकों  बाद लौटे हैं धरा पर फिर पुरुष।। १।।

नईं  कलियाँ खिल पड़ी हैं, तितलियाँ  जिनपर चढी़ हैं
भौरों ने मधु गीत  गाए, कलरव खगदल साथ लाए
मन लुभाती तान  से चिढ़ने  लगे हैं  कापुरुष
आज दशकों  बाद लौटे हैं धरा पर फिर पुरुष।।२।।

मचल जाए न कहीं तू, फिसल जाए न  कहीं तू
रोष  में  जनतंत्र  होवे, हो सके  षडयंत्र होवे
क्योंकि आभा से तेरी जलने लगे  हैं  कापुरुष
आज दशकों  बाद लौटे हैं धरा पर फिर पुरुष।।३।।

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